नहीं कोई मेरा अपना ये साया भी पराया है
बता ऐ ज़िंदगी तूने ये क्या रिश्ता निभाया है
यक़ीं होता नहीं अब भी मुझे इस बात पे यारों
जिसे घर को बचाना था उसी ने घर जलाया है
समझ आया यही आख़िर सफ़र के आख़िरी पल में
ग़मों का साथ है अपना ख़ुशी का पल पराया है
नहीं कोई मेरा अपना ये साया भी पराया है
बता ऐ ज़िंदगी तूने ये क्या रिश्ता निभाया है
यक़ीं होता नहीं अब भी मुझे इस बात पे यारों
जिसे घर को बचाना था उसी ने घर जलाया है
समझ आया यही आख़िर सफ़र के आख़िरी पल में
ग़मों का साथ है अपना ख़ुशी का पल पराया है
आखिरी सफ़र ??
ना कहों की सफ़र है ये आखिरी
अभी तो शुरु हुई है मंजिल-ए-खुशी
बांट लो तुम गम को उनसे
जो पहचानने लगे है तुम्हें करीब से
🙂🙂🙂
बहुत ख़ूब
Bahut khoob 🌼
Shukria
👌🎉💔
Dil se dhanyavaad