सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले
दर्द ही लगने लगे हमदर्द
खुद को इस तरह बना ले
सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले
ज़िंदगी इम्तिहान लेती है
रोज नई पहचान देती है
मैले ये तेरे क़रम धोकर
कुव्वत और ईमान देती है
आह ही लगने लगे जो वाह
खुद को इस तरह बना ले
सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले
हर दिन लगे कुछ बेहतर
हर रात कटे खुश रहकर
हर पल जियो कुछ ऐसे कि
याद आए वो रह रहकर
घाव ही लगने लगे छाँव
रूह को इस तरह बना ले
सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले
दर्द ही लगने लगे हमदर्द
खुद को इस तरह बना ले
सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले ।।
Hope so………🌹