नहीं कोई मेरा अपना ये साया भी पराया है
बता ऐ ज़िंदगी तूने ये क्या रिश्ता निभाया है
यक़ीं होता नहीं अब भी मुझे इस बात पे यारों
जिसे घर को बचाना था उसी ने घर जलाया है
समझ आया यही आख़िर सफ़र के आख़िरी पल में
ग़मों का साथ है अपना ख़ुशी का पल पराया है
Month: September 2020
लगी हैं ख़ुद ही दीवारें इमारत को गिराने में
ज़रा सा वक़्त लगता है किसी का दिल दुखाने में
सदी इक बीत जाती है नया रिश्ता बनाने में
दरारें रोज़ भरता हूँ मगर बढ़ती ही जाती हैं
लगी हैं ख़ुद ही दीवारें इमारत को गिराने में
परिंदे चीखते रहते नहीं सुनता कोई इनकी
यहाँ तो पेड़ कट जाते नई सड़कें बनाने में
ख़ुद को अकेला कर लिया मैंने
बिना सोचे बिना समझे भरोसा कर लिया मैंने
यक़ीं उस पर न जाने क्यूँ दुबारा कर लिया मैंने
कि जिसको याद करने से अकेलापन नहीं खलता
उसी की याद में ख़ुद को अकेला कर लिया मैंने

Voice of Heart ❤
या ख़ुदा अलहदा क्यूँ बनाया मुझे
जान लेकर मेरी फिर बचाया मुझे
रोज़ देता है दिल ये सदा या ख़ुदा
तोड़ना ही था फिर क्यूँ बनाया मुझे
फ़साना क्या लिखूँ अपना
मुझे महसूस होता है, छुरा है पुश्त में मेरी
हुई है मौत सौ बारी, हुई है किश्त में मेरी
फ़साना क्या लिखूँ अपना, नसीबा है यही इरफ़ान
बहारों की सभी उम्रे, कटी हैं दश्त में मेरी
पुश्त – Back, पीठ
दश्त – Desert, रेगिस्तान

“जुनूनी इक बार हो जा”
नींद से बेदार हो जा, रूहानी किरदार हो जा
सोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा
बहुत जी लिया मर मर कर,
लहू के आंसू भर भर कर
रोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा
नींद से बेदार हो जा, रूहानी किरदार हो जा
सोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा
साया तेरा तुझसे कहे, पलकों से ना ये अश्क़ बहे
नुमायाँ तुझमें तू रहे, अब और ना यह सितम सहे
बहुत खोया है तूने खुदको, आबाद इस बार हो जा
रोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा
नींद से बेदार हो जा, रूहानी किरदार हो जा
सोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा
यूँही नहीं तू पैदा हुआ, यूँही नहीं तेरी ज़िन्दगी
कर्ज़ चुका इन साँसों का, तुझसे कहे ये ज़िन्दगी
बहुत रोका है तूने खुदको, आज़ाद इस बार हो जा
रोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा
नींद से बेदार हो जा, रूहानी किरदार हो जा
सोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा
वज़ूद तेरा पूछे तुझसे, कहाँ हूँ मैं बता ज़रा
जुनून तेरा कहे तुझसे, कर ले यक़ीं खुद पे ज़रा
बहुत टोका है तूने खुदको, हिम्मती इस बार हो जा
रोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा
नींद से बेदार हो जा, रूहानी किरदार हो जा
सोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा
बहुत जी लिया मर मर कर,
लहू के आंसू भर भर कर
सोने का अब वक्त नहीं है, जुनूनी इक बार हो जा ।।
“सज़ा को ही मज़ा बना ले”
सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले
दर्द ही लगने लगे हमदर्द
खुद को इस तरह बना ले
सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले
ज़िंदगी इम्तिहान लेती है
रोज नई पहचान देती है
मैले ये तेरे क़रम धोकर
कुव्वत और ईमान देती है
आह ही लगने लगे जो वाह
खुद को इस तरह बना ले
सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले
हर दिन लगे कुछ बेहतर
हर रात कटे खुश रहकर
हर पल जियो कुछ ऐसे कि
याद आए वो रह रहकर
घाव ही लगने लगे छाँव
रूह को इस तरह बना ले
सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले
दर्द ही लगने लगे हमदर्द
खुद को इस तरह बना ले
सज़ा को ही मज़ा बना ले
जीने की तू वजह बना ले ।।
Haal e Dil
नहीं मालूम हाले दिल, नहीं मासूम अब ये दिल
कभी ग़म ये कभी ग़म वो, नहीं महरूम अब ये दिल
सुना था कांच है दिल ये, हमीं ने ही नहीं माना
किसी ने चोट जो मारी, हुआ मरहूम अब ये दिल
” सिमटी हुई तेरी पलकें “
सिमटी हुई तेरी पलकें
कुछ कह रही है मुझसे
आहिस्ता से यूँ दबे पांव
हौले हौले दिल के आशियाँ में
अपना असर छोड़ती हुई
जब भी ये उठती है
मेरी नींद साथ में चल देती
ख्वाबो के जहाँ में दोनों ही
बस चलती जा रही
शायद किसी मोड़ पर मिले तुझसे
हसरत के इक जहाँ में
सही गलत के पार
जब कभी ये पलके भारी हुई
तेरे अकस को मेने पाया इन पर
अश्क़ो से भीगकर वही ठहर गया है
इसका तो रंग भी कबका उड़ चुका
अब तो बस ख़ुशबू सी तैर रही
इन पलकों के शामियाने में
मेने कई लफ्ज़ो के ताने बुने
रेशमी उस एहसास से भरे हुए
जो पहली नज़र में रहता है
भीगी हुई तेरी पलके
कुछ कह रही है मुझसे
इन्हे शायद अभी हुआ है यकीं
मेरी भी पलके आज नम है