मैं रहूँ ना रहूँ मेरे अल्फ़ाज़ जाविदां हैं, कल मिलू ना मिलू यह अंदाज़ अलहदा है…
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Manzar jo the khanjar
कभी आंसू कभी है ख़ूं, मेरी आँखें हमेशा नम नहीं मरहम सितम हरदम, है दिल में बस सिसकता ग़म फ़साना है यही मेरा, सुनोगे क्या पढ़ोगे क्या कई मंज़र थे जो खंजर, हुआ मैं क़त्ल निकला दम
Every ends have a new begging……
Beginning *
कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं,
जो हम लफ़्ज़ों में बयान नहीं कर सकते,
प्यार तो करते हैं हम उनसे,
पर नाम लेने का हक़ भी नहीं रखते,
कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं,
आँखों से अश्रु बन निकल जाते हैं,
पूछे जाने पे क्या ग़म हैं,
कहते आँखों में धूल चली गयी हैं।
कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं,
जो यादों के गलियों में हमें छोड़ आते हैं,
उनके दिए अहसास को याद कर,
इस दर्द से नफ़रत भी नहीं कर पाते हैं हम।
कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं,
जिसे महसूस कर दिल खिल जाते हैं,
आप तो हमें छोड़ कर चली गयी,
पर ये दर्द आपकी अहसास याद दिलाती हैं।
Bahut khoob
Yaa …. I think so….
🙄🥺👏👏