बिना दिल के भी कुछ बंदे, ज़माने में यूँ जीते हैं
किसी से कुछ नहीं कहते, ग़मों के घूंट पीते हैं
यही कहती है हर इक रूह अपने जिस्म से इरफ़ान
के इस ज़िन्दान में दिन ये, बड़ी मुश्किल से बीते हैं
ज़िन्दान – जेल, Prison

बिना दिल के भी कुछ बंदे, ज़माने में यूँ जीते हैं
किसी से कुछ नहीं कहते, ग़मों के घूंट पीते हैं
यही कहती है हर इक रूह अपने जिस्म से इरफ़ान
के इस ज़िन्दान में दिन ये, बड़ी मुश्किल से बीते हैं
ज़िन्दान – जेल, Prison
I know……
But Sorry again🙇♀️
Really appreciate you sharing this blog post.Thanks
Aap ka sneh bana rhe sada
Nice word
Yunhi Hausla Afzayee karte rhe