जश्न ए आज़ादी कुछ ऐसे मनाये हम
सरफ़रोशी की शमां दिल में जलाये हम
अपना फ़र्ज़ ईमान से अदा करते हुए
हिंद को दुनिया का सरताज बनाये हम
मुल्क़ में फैली बुराइयों के ख़िलाफ
इन्क़िलाब का बिगुल फिर से बजाये हम
शहीदों की क़ुर्बानी याद करते हुए
मुक़द्दस तिरंगा शान से फहराये हम
वतन की मोहब्बत का जज़्बा लिए
अपनी प्रतिभा जमाने को दिखाये हम
सरहद की हिफ़ाजत में डटें हुए है जो
उन रणबाँकुरों को सर आँखों पर बिठाये हम
देश के लिए जानो तन लुटाकर
मिट्टी का क़र्ज़ अब लहू से चुकाये हम
हँसते हँसते जां निसार कर गए वो
शहादत के किस्से फ़ख्र से सुनाये हम
सबको बराबरी का हक़ दिलाते हुए
आज़ादी के सही मायने सिखलाये हम
मेहनत और लगन से आगे बढ़ते हुए
हर सूबे में अपना परचम लहराये हम
मज़हब, ज़ुबां, नस्ल से ऊपर उठकर
तराना-ए-हिंद आज गुनगुनाये हम
यौम-ए-आज़ादी कुछ ऐसे मनाये हम
गुल है हिंदोस्ताँ आओ इसे सजाये हम ।।
**** राॅकशायर ‘इरफ़ान’ अली ख़ान ****
वाह 👌👌
धन्यवाद
😊🤗😊
Bhut khub! 👏
Inayat shukriya
Bahut khub
Bahut Aabhar sir
👏👏