जिनके सदक़े में बनी है ये पूरी क़ायनात
ज़िक्र होता है जिनका सदा ख़ुदा के साथ
अज़ीम पाकीज़ा शख्सियत है प्यारे नबी
मुक़म्मल बंदगी का अकस है प्यारे नबी
सुन्नते जो सिखलाती बेहतरीन अख़लाक़
अमल करे जो उनपे, सँवरते है दोनों जहाँ
सादगी से अपनी जीता है दिलो को उन्होंने
ज़िंदगी से पेश की इंसां के लिए इक मिसाल
बुलंद ये मर्तबा ज़मीन-ओ-आसमाँ भी झुकते
सरकार-ऐ-मदीना का जलवा यूँ आफ़ताबी है
मगफिरत होगी कर ले हुजूर से जो मुहब्बत
दिल में जिसके रवां हो हसरत बस रसूल की
लिखना तो बहुत है लफ्ज़ो में वो क़ुव्वत कहा
सरवर-ऐ-आलम की तारीफ जो कर पाये बयां
जिनके लिए ही कायम है यह पूरी क़ायनात
ज़िक्र होता रहेगा उनका सदा ख़ुदा के साथ
ऐसी अज़ीम पाकीज़ा शख्सियत है प्यारे नबी
इक मुक़म्मल बंदगी का अकस है प्यारे नबी ………इरफ़ान