122 122 122 122
फ़साना नहीं है अज़ीयत हमारी
किसी ने न पूछी तबीयत हमारी।
यूं’ तीमारदारी वही लोग करते
कि प्यारी है’ जिनको वसीयत हमारी।।
©इरफ़ान अली ख़ान
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फ़साना नहीं है अज़ीयत हमारी
किसी ने न पूछी तबीयत हमारी।
यूं’ तीमारदारी वही लोग करते
कि प्यारी है’ जिनको वसीयत हमारी।।
©इरफ़ान अली ख़ान