अली,मौला,राम,श्याम,
सारे नाम उसी के,
उसकी सबपर मेहरबानी है,
मैं दीपक वह सूर्य,
मैं आत्मा वह परमात्मा,
मगर सूर्य जलाता नही,
परमात्मा रुलाता नही,
पता नही ये दिए कब से आग लगाने लगे,
जिस सिसम में बसी आत्मा
पता नही वह जिस्म कैसे
औरों को तड़पाने लगे,
प्रेम लेकर आए थे,
और सारी उम्र नफरत करते रहे,
दीपक बन आए और
औरों के दिए बुझाते रहे,
जो ऐसा कर रहा था
उसके भी नाम में अली था,
उसका भी नाम राम था।
अली,मौला,राम,श्याम,
सारे नाम उसी के,
उसकी सबपर मेहरबानी है,
मैं दीपक वह सूर्य,
मैं आत्मा वह परमात्मा,
मगर सूर्य जलाता नही,
परमात्मा रुलाता नही,
पता नही ये दिए कब से आग लगाने लगे,
जिस सिसम में बसी आत्मा
पता नही वह जिस्म कैसे
औरों को तड़पाने लगे,
प्रेम लेकर आए थे,
और सारी उम्र नफरत करते रहे,
दीपक बन आए और
औरों के दिए बुझाते रहे,
जो ऐसा कर रहा था
उसके भी नाम में अली था,
उसका भी नाम राम था।
Lajawab