इश्क़ के नसीब में सब्र नहीं है
सुनिए एक ऐसे वाहिद सुखनवर को
जो कभी मासूम बच्चे सा मुस्कुराता है
तो कभी किसी दरख़्त सा धूप से बचाता है
इश्क़ के नसीब में सब्र नहीं है
सुनिए एक ऐसे वाहिद सुखनवर को
जो कभी मासूम बच्चे सा मुस्कुराता है
तो कभी किसी दरख़्त सा धूप से बचाता है
उम्दा।