अब्र की आँखों से दर्द छलकने को है
सब्र कर ऐ ज़मीं बारिश होने को है
अभी प्यास लगना लाज़िम है तुझे
बस थोड़ी देर और इफ़्तार होने को है..
अब्र की आँखों से दर्द छलकने को है
सब्र कर ऐ ज़मीं बारिश होने को है
अभी प्यास लगना लाज़िम है तुझे
बस थोड़ी देर और इफ़्तार होने को है..