नज़रों की ज़ुबां सब नहीं समझते ख़ामोशी का मतलब नहीं समझतेनज़रों की ज़ुबां सब नहीं समझते बच्चे ले लेते हैं बागडोर अपने हाथ मेंघर के बुजुर्ग जब नहीं समझते Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related
ये अधूरापन पूरा नहीं हो रहा है, उसे ख़्वाब की तलब नहीं, तभी वो नहीं सो रहा है Reply April 28, 2019 at 9:06 pm
Niche wali line kuchh adhuri h …Baki badhiya !
ये अधूरापन पूरा नहीं हो रहा है, उसे ख़्वाब की तलब नहीं, तभी वो नहीं सो रहा है