होश गंवाने को तैयार हुए बैठे है
खानाबदोश मन का शिकार हुए बैठे है
चादर चढ़ाने ही सही पर आओ कभी
इंतज़ार में आपके मज़ार हुए बैठे है
होश गंवाने को तैयार हुए बैठे है
खानाबदोश मन का शिकार हुए बैठे है
चादर चढ़ाने ही सही पर आओ कभी
इंतज़ार में आपके मज़ार हुए बैठे है