तुम्हारे चेहरे पर ये ग़म नहीं जचता मुझे
तुम्हारा हँसना बारिश से कम नहीं लगता मुझे
पहली दफ़ा जब मिली थी मेरे लिए अजनबी थी
चेहरा ये तेरा अजनबी हाँ अब नहीं लगता मुझे
डर लगता है आज भी फिर से टूट जाने का
पर साथ तुम्हारे जब होता हूँ डर तब नहीं लगता मुझे
सुना है मुझे ग़म देने वाले आजकल ख़ुद ग़मज़दा हैं
अफ़सोस के ग़म भी अब तो ग़म नहीं लगता मुझे
बेशक मौजूद हैं यहाँ एक से बढ़कर एक फ़नक़ार
पर अपना क़िरदार किसी से कम नहीं लगता मुझे।
लेकिन आपका हँसना अच्छा लगता है
kya baat he… waah waah!! mukarar….
बहुत शुक्रिया