Month: March 2019
RockShayar recites
RockShayar recites Ghazal
वो ख़त तेरा
मैं शाख से टूटा इक पत्ता था
Mohabbat kiye bahut Waqt ho gaya hai
Apni sab khwahishon ko dil mein dabaaye baithe hai
MFC Open Mic Jaipur
होश गंवाने को तैयार हुए बैठे है
खानाबदोश मन का शिकार हुए बैठे है
चादर चढ़ाने ही सही पर आओ कभी
इंतज़ार में आपके मज़ार हुए बैठे है
RockShayar @ MFC Open MIC Jaipur Poetry
गुज़रा हुआ वक़्त नहीं हूँ जो लौटकर नहीं आऊँगा
गुज़रा हुआ वक़्त नहीं हूँ जो लौटकर नहीं आऊँगा
जब भी आऊँगा सबसे ज्यादा तुम को ही चौकाऊँगा
याद रखना ये बात ये तारीख़ तुम
इस बार पहले से ज्यादा खुद को पाऊँगा
Open MIC
Ek waqt
हम सबकी ज़िंदगी में एक वक़्त आता है
एक वक़्त जो हमें हमारा एहसास कराता है
एक वक़्त
एक वक़्त जब हम कमज़ोर पड़ने लगते हैं
एक वक़्त जब हम कोई और बनने लगते हैं
एक वक़्त जब सब हम पे हँसने लगते हैं
एक वक़्त जब हम ख़ुद पे शक करने लगते हैं
एक वक़्त
एक वक़्त जब अपने ताने कसने लगते हैं
एक वक़्त जब यार पुराने ज़माने लगने लगते हैं
उस वक़्त
उस वक़्त जो एक दर्द भीतर कहीं बाक़ी रह जाता है
बस ज़िंदगी भर वही दर्द हमें सही राह दिखाता है
हम सबकी ज़िंदगी में एक वक़्त आता है
एक वक़्त जो हमें हमारा एहसास कराता है
“एक वक़्त”
#ApnaTimeAaChuka
When a Science Student becomes Shayar…
अभी टूटा नहीं है ख़्वाब मेरा
अभी टूटा नहीं है ख़्वाब मेरा
नींद के साये अभी जगे हुए हैं
ज़रा देर से देना धोखा मुझे तुम
हाल ही में दिल के सौ टुकड़े हुए हैं
घर बार बसाने में हर बार वक़्त तो लगता ही है
वक़्त है या सज़ा-ए-सख़्त
हम अब तक उजड़े हुए हैं
रिश्ते बनाने से ज्यादा थे निभाने ज़रूरी
निभाए नहीं रिश्ते तभी तो उलझे हुए हैं
एक उम्र गुज़र जाती है अपनों को मनाने में
गुज़र गई एक उम्र वो अब तक रूठे हुए हैं
न उन्हें कुछ मिला, न हमें कुछ गिला
तमाशाई हैं के तमाशे की ज़िद पे अड़े हुए हैं।
मेरी नादानी को नादानी समझने की नादानी कर रहे हैं
मेरी नादानी को नादानी समझने की नादानी कर रहे हैं
कैसे बेवकूफ़ हैं ये जो राख से छेड़खानी कर रहे हैं
क्या इन्हें नहीं मालूम? के कुछ शोले अभी बुझे नहीं हैं
शायद आदत से मज़बूर हैं तभी गलती वही पुरानी कर रहे हैं
अब ऐसे नादानों को हर बार क्या माफ़ ही करते रहेंगे
जो माफ़ी मांगकर फिर से वही शैतानी कर रहे है
चलो इनकी हरकतों से कुछ तो फ़ायदा हुआ
हम इनके बीच रह के अब अपनी मनमानी कर रहे हैं
अफ़सोस के ख़ुदा ने इन्हें अफ़सोस तक ना होने दिया
के ये नामुराद आख़िर कौनसी नादानी कर रहे हैं।
दिन भी कैसा दिन है आख़िर में रैन हो जाता है
बेचैन न होने पर बेचैन हो जाता है
दिन भी कैसा दिन है आख़िर में रैन हो जाता है
#CoffeeAmerica
दोस्तों अब तक आपने कई अलग-अलग जगह कॉफ़ी पीने का लुत्फ़ उठाया होगा
लेकिन क्या आपने कभी कॉफ़ी की उस क़ैफ़ियत को महसूस किया है?
जो उसे पल भर में इतना ख़ास बना देती है
के वो पलक झपकते ही आपका मूड बना देती है
अगर आपने अब तक ये तिलिस्मी तज़ुर्बा हासिल नहीं किया तो दोस्तों डू नॉट फ़िक़र
क्योंकि हाज़िर हैं हम आपकी वाली Special कॉफ़ी लेकर with Extra Sugar
जी हाँ दोस्तों, क्योंकि साड्डे Coffee America की तो बात ही कुछ और है
अपनी टैगलाइन Nobody Makes It Better के बारे में ये 100% Sure है
जयपुर के सीतापुरा इंडस्ट्रियल एरिया में इसकी अलग छाप है
या यूँ कहे के इंजीनियरिंग छात्रों के बीच इसकी तगड़ी धाक है
रोज़ाना कई भावी इंजीनियर्स यहाँ अपना Future Discuss करते हैं
Apex Poornima Regional Kautilya वालेे सब के सब यही मिलते हैं
केवल Coffee ही नहीं और भी कई तरह के Fast Food Available हैं यहाँ
और तो और जनाब हर एक Item की Rate भी Reasonable हैं यहाँ
तो फिर यारों कब आ रहे हो साड्डे कॉफ़ी अमेरिका दी गली
जिस रोज़ भी आओगे मच जाएगी अक्खे Area में खलबली
आधुनिक इस दौर में बाक़ियों से थोड़ा अलग है कॉफ़ी अमेरिका
ज़िंदगी के हसीन लम्हों से लबरेज़ कॉफ़ी मग है कॉफ़ी अमेरिका
जहाँ आप ना केवल ख़्वाबों ख़यालों जैसी कॉफ़ी पियेंगे
बल्कि उस कॉफ़ी की क़ैफ़ियत को भी महसूस कर पाएंगे।
अपनो ने बहुत सताया है
उसे घर लौटने की कोई चाहत नहीं
लगता है अपनो ने बहुत सताया है
आँखें उसकी भी नम थीं
फ़क़त मेरी ही नहीं आँखें उसकी भी नम थीं
अलविदा कहने वाली ज़ुबाँ बड़ी बेरहम थी
वो अपनी बेगुनाही साबित करता भी तो कैसे?
अदालत ने जो दी थी मोहलत बहुत कम थीं
पहली दफ़ा जब सुना उसे तो कुछ यूँ लगा
मानों शोर से परे वो लहराती हुई सरगम थीं
वो जानती थी जीना, रोज़ मुझे सिखाती थी
दौड़ती इस ज़िंदगी में चाल उसकी मद्धम थीं
उसकी तारीफ़ में बस इतना ही कहना चाहूँगा
के वो साथ मेरे हरक़दम हरदम हमदम थीं
गुज़र गई जब ज़िंदगी तो पता ये चला इरफ़ान
के जो मिली थी वो सितम ज्यादा मरहम कम थीं।
ज़िंदगी लटकता हुआ इक आम है
आज तू जिसके पीछे भाग रहा है
कल तू उससे दूर भागेगा
ज़िंदगी इसी दौड़ का नाम है
ज़िंदगी छलकता हुआ इक जाम है
ज़िंदगी को मुश्किल बनाने की क्या ज़रूरत
ज़िंदगी तो है खूबसूरत इसे चाहिए थोड़ी मोहब्बत
आज तू जिसे पाना चाह रहा है
कल तू उससे पीछा छुड़ायेगा
ज़िंदगी इसी हौड़ का नाम है
ज़िंदगी चलता हुआ क़याम है
ज़िंदगी को भला समझने की क्या ज़रूरत
ज़िंदगी को तो है बस थोड़ा जीने की ज़रूरत
मगर ये बात हमें मौत के वक़्त समझ आएगी
ज़िंदगी तो ज़िंदगी है आख़िर एक दिन गुज़र जाएगी
आज तू जिसका होना चाह रहा है
कल तू उससे निज़ात चाहेगा
ज़िंदगी इसी हड़बड़ी का नाम है
ज़िंदगी लटकता हुआ इक आम है।
ज़िंदगी लटकता हुआ इक आम है
आज तू जिसके पीछे भाग रहा है
कल तू उससे दूर भागेगा
ज़िंदगी इसी दौड़ का नाम है
ज़िंदगी छलकता हुआ इक जाम है
ज़िंदगी को मुश्किल बनाने की क्या ज़रूरत
ज़िंदगी तो है खूबसूरत इसे चाहिए थोड़ी मोहब्बत
आज तू जिसे पाना चाह रहा है
कल तू उससे पीछा छुड़ायेगा
ज़िंदगी इसी हौड़ का नाम है
ज़िंदगी चलता हुआ क़याम है
ज़िंदगी को भला समझने की क्या ज़रूरत
ज़िंदगी को तो है बस थोड़ा जीने की ज़रूरत
मगर ये बात हमें मौत के वक़्त समझ आएगी
ज़िंदगी तो ज़िंदगी है आख़िर एक दिन गुज़र जाएगी
आज तू जिसका होना चाह रहा है
कल तू उससे निज़ात चाहेगा
ज़िंदगी इसी हड़बड़ी का नाम है
ज़िंदगी लटकता हुआ इक आम है।
“लौटकर आई सदा”
पहले तो अपनी क़िस्मत सँवारता हूँ
फिर गले लगने को बाहें पसारता हूँ
शिकारे से गीले पानी को निहारता हूँ
मैं अपनी आँखों में तुमको उतारता हूँ
चिनार के बगीचों में वक़्त गुज़ारता हूँ
बर्फ़ीले पहाड़ों पे तुमको पुकारता हूँ
और तुम हो कि कभी आती ही नहीं
हाँ लौटकर ये सदा ज़रूर आती है
के किसे तलाश रहे हो मुसाफ़िर?
तुम किस से हो रहे हो मुतासिर?
वो जिसे तुम ढूँढ रहे हो
वो खोयी ही कब थी?
वो जिसे तुम पुकार रहे हो
दूर गई ही कब थी?
ग़ौर से देखो वो हर जगह है
करती वो इश्क़ तुमसे बेपनाह है
उसे कहाँ तुम इन वादियों में ढूँढ रहे हो
वो तो तुम्हारे तसव्वुर की मलिका है
उसे कहाँ तुम इन पहाड़ों पे खोज रहे हो
वो तो तुम्हारे मुक़द्दर की लैला है
तुम्हारा और उसका साथ तो सदियों से तय है
इस बात की गवाह कायनात की हर शै है
छोड़ तू सारी फ़िक्रे अपनी
तोड़ दे दिल के वहम
तब जाकर मिलेगी तुझे वो तेरी लैला
वो तेरी सनम
और फिर तू जी भरके उससे खूब बातें करना
जिसका ज़िक्र तू अक्सर तन्हाई से करता है
क्योंकि इस बार लौटकर आने वाली सदा
उसे अपने साथ लेकर आई है
खुश हो जा
उसे अपने साथ लेकर आई है।
सफ़र-ए-हयात
तुम आओ तो बात बने
कहती है तन्हाई अक्सर ये मुझसे के तुम आओ तो बात बने
थक गई निगाहें राह तकते-तकते तुम आओ तो बात बने
तेरी परछाई का नामोनिशां नज़र तक नहीं आता कहीं अब
इंतज़ार में है इंतज़ार जो मिलने तुम आओ तो बात बने
रुख़्सत के वक़्त भले ही अपना सब कुछ वापस ले जाना
पर अलविदा से पहले इक़रार करने तुम आओ तो बात बने
मेरे नसीब में क्या है ये तो मैं नहीं जानता
मगर हबीब मेरे गर नसीब में मेरे तुम आओ तो बात बने
एक अर्से से दिल ये मेरा टूटा हुआ आईना है
गर इस आईने में अक्स देखने तुम आओ तो बात बने
दूरियों ने बहुत कोशिश की हैं हमें दूर-दूर करने की
जो अब दिल से दूरियां मिटाने तुम आओ तो बात बने
ये ज़िंदगी तो ख़ैर यूँही तन्हा गुज़र गई इरफ़ान
गर फ़िरदौस में साथ मेरा देने तुम आओ तो बात बने।
मैं काग़ज़ पर दिल की बेचैनियाँ उड़ेलता हूँ
जो कह नहीं पाता उसे लिख देता हूँ
मैं काग़ज़ पर दिल की बेचैनियाँ उड़ेलता हूँ
मुझे भला किसी सितमगर की क्या ज़रूरत
मैं अपने ज़ख़्म यहाँ ख़ुद कुरेदता हूँ
उसने बड़ी चालाकी से पीठ पर वार किया
इसीलिए तो धोखे से इतना डरता हूँ
सुना है लोग मुझको मजनूँ बुलाते हैं
बुलाएंगे ही सही हर वक़्त लैला-लैला करता हूँ
तुमने आने में ज़रा देरी कर दी
अलविदा ओ मेरी लैला अब मैं चलता हूँ।
सर्दियों में मुँह से निकलते धुएं की मानिंद है ये ज़िंदगी
सर्दियों में मुँह से निकलते धुएं की मानिंद है ये ज़िंदगी
वज़ूद जिसका बस कुछ देर तक ही कायम रहता है
बाद उसके वो हवा हो जाता है
ना जाने कहाँ खो जाता है
या यूँ कहे के फ़ना हो जाता है
मगर जितनी देर भी वो कायम रहता है
कई तरह के अलग-अलग नज़ारे दिखाता है
कभी वो हँसी का छल्ला बन जाता है
तो कभी ग़मों का मोहल्ला सजाता है
कभी वो खुशियों का मल्लाह बन जाता है
तो कभी ख़ाहिशों का दुमछल्ला कहलाता है
सर्दियों में मुँह से निकलते धुएं की मानिंद है ये ज़िंदगी
वज़ूद जिसका बस एक उम्र तक ही कायम रहता है
बाद उसके वो हवा हो जाता है
गहरी वाली नींद में सो जाता है
या यूँ कहे के धुँआ हो जाता है।
#poetry #rockshayar #shayari #nazm
तुम्हारा हँसना बारिश से कम नहीं लगता मुझे
तुम्हारे चेहरे पर ये ग़म नहीं जचता मुझे
तुम्हारा हँसना बारिश से कम नहीं लगता मुझे
पहली दफ़ा जब मिली थी मेरे लिए अजनबी थी
चेहरा ये तेरा अजनबी हाँ अब नहीं लगता मुझे
डर लगता है आज भी फिर से टूट जाने का
पर साथ तुम्हारे जब होता हूँ डर तब नहीं लगता मुझे
सुना है मुझे ग़म देने वाले आजकल ख़ुद ग़मज़दा हैं
अफ़सोस के ग़म भी अब तो ग़म नहीं लगता मुझे
बेशक मौजूद हैं यहाँ एक से बढ़कर एक फ़नक़ार
पर अपना क़िरदार किसी से कम नहीं लगता मुझे।
देखो! वो हमसे कितना प्यार करते हैं
मौका देखकर फिर वार करते हैं
देखो! वो हमसे कितना प्यार करते हैं
भला हम भी कहाँ पीछे रहने वाले
अपने हाथों से तेज़ उनकी तलवार करते हैं
My Rock Style
मेरा लहजा समझने वाले खुद को भूल जाते हैं
कई दिनों तक खुद में वो मुझको ही पाते हैं
हालांकि मैं ये सब जानबूझकर नहीं करता हूं
मैं उनका दिल बहलाता हूं वो मेरे ज़ख़्म सहलाते हैं