आईने से आख़िर क्या बातें करते हो
बताओ कभी
तुम दोनों के बीच हुई वो अनकही बातें
जो न बता सको तो जताओ कभी
तुम दोनों के दरमियां वो अधूरी मुलाक़ातें
जो न जता सको तो सुनाओ कभी
तुम दोनों के भीतर दबी वो अनसुनी आहें
जो न सुना सको तो दिखाओ कभी
तुम दोनों की आँखों में ठहरी वो गीली यादें
आईने से आख़िर क्या बातें करते हो
बताओ कभी
यूं देर तलक आलम-ए-तन्हाई में
आईने के भीतर किसे निहारते रहते हो
अनगिनत अक्स के बीच
आख़िर किसे तलाशते रहते हो
बताओ कभी
चलो अब बता भी दो
True lines.
Shukr you
वाह!👌