साल में दो दिन वतन-वतन करने वालों
तुमको साड्डे वतन दा प्यार भरा सलाम
ज़रा ग़ौर से सुनना तुम देशप्रेमी लोग आज
वतन ने ख़ास तुम्हारे लिए भेजा है ये पैग़ाम
सुबह-सुबह जो तिरंगे वाली तीव्र लहर शुरू होती है
दोपहर आते-आते तो वो पूरी तरह दम तोड़ देती है
देशभक्ति वाले धांसू गीत गाकर और चंद लटके-झटके दिखाकर
बताओ तो तुम ये वतनपरस्ती का कौनसा नमूना पेश कर रहे हो?
ये जो मज़हब के नाम पर तुम लोग एक दूसरे को मार डालते हो
सच कहूं तो तुम मुझे नित नये कभी नहीं भरने वाले घाव देते हो
साल में दो दिन वतन-वतन करने वालों
तुमको साड्डे वतन दा है बस इत्ता ही कहणा
चाहे कुछ भी हो जाए
पर अपने अंदर इंसानियत को मरने ना देणा
चाहे कुछ भी हो जाए
पर अपने अंदर थोड़ी इंसानियत बचा के रखणा
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जश्न मनाओ तुम
फिर चाहे मेरी शान में ख़ूब जोशीले नग़मे सुनाओ तुम
अगर मेरी कोई बात बुरी लगी तो बहुत अच्छी बात है
आख़िर वतन हूँ मैं तुम सबका नाम मेरा हिंदोस्तान है।
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