मुझको आजकल कहीं भी सुकून नहीं मिलता
लिखना तो चाहूँ लेकिन मज़्मून नहीं मिलता।
अभी कुछ और तड़पना होगा, कुछ और बरस
इतनी जल्दी तो किसी को जुनून नहीं मिलता।
गर जुड़ाव हो तो ज़मीन-ओ-आसमां के जैसा
दरमियाँ जिनके कहीं कोई सुतून नहीं मिलता।
आधी उम्र गुज़र गई, तब जाकर ये पता चला
के मेरे अपनों से मेरा ज़रा भी ख़ून नहीं मिलता।
तोड़ने पर मिले सज़ा, दिल जोड़ने पर मिले जज़ा
इस जहां में ऐसा तो कोई क़ानून नहीं मिलता।।
@RockShayar.com
मज़्मून – विषय, Subject
सुतून – खंभा, Pillar
जज़ा – अच्छे काम का बदला, Reward