मेरे अंदा़ज़ को अपना अंदाज़ बना लोगी
नज़रें मिलते ही अपना सब कुछ गंवा दोगी
एक ही मुलाक़ात काफ़ी है इस तज़ु्र्बे के लिए
क्योंकि उस मुलाक़ात के बाद तुम तुम ना रहोगी
मेरे अंदा़ज़ को अपना अंदाज़ बना लोगी
नज़रें मिलते ही अपना सब कुछ गंवा दोगी
एक ही मुलाक़ात काफ़ी है इस तज़ु्र्बे के लिए
क्योंकि उस मुलाक़ात के बाद तुम तुम ना रहोगी