
अपनी ही आहट पे चौंक जाता है
ऐ दिल, तू क्यों इतना घबराता है?
जो होना है वो तो होकर रहेगा
तू क्यों बार-बार खुद को आज़्माता है?
ऐसी भी क्या ज़िद है तेरी, क्या नादानी?
जो शीशे का सर लिए तू पत्थर से टकराता है
चंद जज़्बातों की खातिर शहीद हो जाता है
किसी से दूर तो किसी के क़रीब हो जाता है
पलभर में चाहे जिसे अपना बना लेता है
बाद में मगर सदियों तक भुला नहीं पाता है
धड़कन के ज़रिए तू सबको अपने दिल की बात सुनाता है
दिल जो ठहरा आखिर, मोहब्बत में अपना आप गंवाता है
कुछ लोग तुझ पर संगदिल होने का इल्ज़ाम लगाते हैं
तो कुछ लोग तेरे रहमदिल होने का एहसास कराते हैं
जुड़ने से पहले ही टूटने के डर से घबराता है
ऐ दिल, तू क्यों हरबार खुद से ही हार जाता है?
Nyc lines…👌