
Woman writing in her diary at sunset
चमकीले दिन बड़ी जल्दी बीत जाते हैं रह रहकर बाद में बहुत याद आते हैं साथ चलती है सदा परछाई वक़्त की बीच-बीच में धूप के साये मुस्कुराते हैं बिना जिनके हर खुशी अधूरी हैं, साथ जिनका कि बेहद ज़रूरी हैं अँधेरे में यार सितारों से जगमगाते हैं ना कोई फ़िकर रहती है, ना कोई परेशानी वहां ज़ुनून के पौधे जिस जगह लहलहाते हैं खुशबू आती हैं, हरवक़्त अपने अंदर से रूहानियत के फूल सारा आलम महकाते हैं चाहे जितनी हवा भरो, चाहे जितनी दवा करो मन के ये गुब्बारे फटाक से फूट जाते हैं मज़बूरी में साथ निभाते हैं, मज़दूरी में कुछ नहीं पाते हैं दूर जाने के बाद दोस्त बहुत याद आते हैं।