होश गंवाने को तैयार हुए बैठे है खानाबदोश मन का शिकार हुए बैठे है चादर चढ़ाने ही सही, पर आओ कभी इंतज़ार में आपके मज़ार हुए बैठे है ये हुनर सीखना इतना आसां नहीं हुज़ूर बिन बादल देखो मल्हार हुए बैठे है एक आप ही हो, जो क़रार के तलबगार हो वरना हम तो कब से यूं बेक़रार हुए बैठे है वज़ह थी इसकी भी, वज़ह बहुत बड़ी बेवज़ह तो नहीं हम ख़ुद्दार हुए बैठे है तुमने शायद ग़ौर नहीं किया इस बारे में कभी मुद्दत से मेरे यार इंतज़ार हुए बैठे है।
बेहतरीन….
होश गंवाने को तैयार हुए बैठे है
खानाबदोश मन का शिकार हुए बैठे है
शुक्रिया जनाब
लाजवाब