होश गंवाने को यूं बेक़रार हुए बैठे हैं
खानाबदोश मन का शिकार हुए बैठे है
चादर चढ़ाने ही सही, पर आओ कभी
इंतज़ार में आपके मज़ार हुए बैठे है
ये हुनर सीखना इतना आसान नहीं
बिन बादल देखो मल्हार हुए बैठे है
एक आप ही हो, जो क़रार के तलबगार हो
हम तो कब से यूं बेक़रार हुए बैठे है
वज़ह रही थी, इसकी भी बहुत बड़ी वज़ह
बेवज़ह तो नहीं हम ख़ुद्दार हुए बैठे है
तुमने शायद ग़ौर नहीं किया इस बारे में कभी
मुद्दत से मेरे यार इंतज़ार हुए बैठे है