
मोहब्बत हमने भी की थी किसी जमाने में
थे आदमी काम के हम भी किसी जमाने में
मालूम नहीं इन दिनों जाने कहां रहती है वो
वो जो मेरे दिल में रहती थी किसी जमाने में
ऐसा नहीं है कि हमने कोशिश नहीं की, ख़्वाहिश नहीं की
दुआएँ हमने भी मांगी थी किसी जमाने में
हमें ज़िंदगी का पाठ पढ़ाने वाले, क्या तुझे पता नहीं
ज़िंदगी हमने भी जी थी किसी जमाने में
दिल को सीने में क़ैद रखना मुमकिन कहां
ख़ता ये हसीं हमसे भी हुई थी किसी जमाने में
अपनी मासूमियत पे इतना भी न इतराओ तुम
थे मासूम तुम से हम भी किसी जमाने में
जिस जगह का ज़िक्र, शायर सयाने ने किया था कभी
कश्ती हमारी भी डूबी वहीं किसी जमाने में।
Just wowwwww 👍 👍👍
Bhut khoob👌
Ki thi kya
आप बहुत अच्छा लिखते हैं।😊
सच में या यूँही तारीफ़
बिल्कुल सच्ची।
Bhut badiya my friend 👍👍