जो भी जयपुर आता है, वो यहां ज़रूर जाता है
दोस्तों ये नायाब किला, नाहरगढ़ कहलाता है
यहां से मीठी यादें जुड़ी हैं, दिल की दिलकश बातें जुड़ी हैं
यहां आके हर ज़िन्दगी, आज़ाद खुले आसमान में उड़ी हैं
नाहरगढ़ जाने वाले सभी रास्तें एडवेंचर से भरे हैं
मोड़ पे मोड़ ऊपर से संकरी रोड़, ये डेंजर से भरे हैं
सवाई जयसिंह ने इसे सन् 1734 में था बनवाया
सुदर्शन मंदिर की वजह से ये सुदर्शनगढ़ कहलाया
कहते है कि बरसों पहले, यहां एक बाबा का वास था
पहुंची हुई हस्ती, नाहरसिंह भोमिया उनका नाम था
ज्योंही मजदूर दिन में थोड़ा किला बनाते
रात को बाबा आकर उसे ध्वस्त कर जाते
आखिरकार एक सिद्ध तांत्रिक ने उन्हें मना लिया
किसी दूसरी जगह पर स्थापित उन्हें करवा दिया
बस तब से ही ये किला नाहरगढ़ कहलाने लगा
सैलानियों का दिल, दिल खोलके बहलाने लगा
सवाई माधोसिंह ने यहां एक जैसे 9 महल बनवाएँ
अपनी 9 प्रेमिकाओं के नाम पे उनके नाम रखवाएँ
ये सारे महल आपस में एक ही सुरंग से जुड़े हुए हैं
मौसम के मुताबिक यहां, हवा-रौशनी बिखरे हुए हैं
सूरज, खुशहाल, जवाहर, ललित, ये हैं पहले 4 महल
आनंद, लक्ष्मी, चांद, बसंत, फूल, बाक़ी के 5 महल
सारे महलों का सरनेम प्रकाश हैं
नाहरगढ़ से नजदीक ही आकाश है
अय्याश महाराजा जगतसिंह की माशूका को यहीं क़ैद रखा गया था
आलीशान अतिथिगृह में कनीज़ रसकपूर को नज़रबंद किया गया था
पानी बचाने के लिए जो एक बावड़ी बनाई गई थी
छोरे-छोरियां सब आजकल वहीं पर लेते हैं सेल्फी
आमिर ख़ान की फिल्म रंग दे बसंती ने इसे वर्ल्ड फेमस कर दिया
बाद उसके तो हर प्राणी ने यहीं आके अपडेट अपना स्टेटस किया
इस बार दिवाली की रात, जनाब आप नाहरगढ़ ज़रूर जाएं
और अपने पिंकसिटी को, सितारों सा जगमगाता हुआ पाएं
जो भी जयपुर आता है, वो यहां ज़रूर जाता है
ऐत्थे जाते ही दोस्तों, साड्डा दिन बन जाता है।