दिल के बारे में मैंने तो बस इतना ही जाना है
न जाना हो जिधर इसे तो बस उधर ही जाना है
कई साल हो चुके हैं, न बूढ़ा होता है न मरता है
ऐसा लगता है दिल तो फिल्मी कोई दीवाना है
एक बार जो इसे तोड़ दे, जुड़कर भी जुड़ता नहीं
ग़ैरों से नहीं दिल तो अपने आप से बेगाना है
चाहतों के पीछे-पीछे, ज़िंदगीभर भागता रहता है
किसी को बताता नहीं क्या इसको पाना है
हर बार नया लालच देकर फांस लेता है,
गुंडों का कबीला खुद को समाज कहता है
जमाना आज से नहीं इसका दुश्मन पुराना है
तन्हाई अक्सर डराती है इसे,
हज़ारों बार आज़्माती है इसे
जानता है इसे तो बस अपना साथ निभाना है
अंगारे बिछे हो जिधर, नंगे पाव उधर ही जाना है
ये दिल है जनाब इस दिल का यही फ़साना है।
क्या बात।👌👌
बहुत खूब
shukram