परियों की तरह रौशन है किरदार तु्म्हारा
सदियों से न सोई आँखों में है इंतज़ार तुम्हारा
बंजर में गुलशन लगती हो, बहार सी मल्हार सी
बारिश की बूँदें छूकर होता है एहसास तु्म्हारा
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ख़ूब जचता है, चमेली का वो फूल
फूलों की तरह महकता है हर अंदाज़ तुम्हारा
वैसे तो ख़्वाहिशों की कोई इंतहा नहीं, कोई दवा नहीं
फिर भी ज्यादा कुछ नहीं मांगू मैं साथ तु्म्हारा
तु्म्हारे कुर्ते पे जितने फूल बने हैं, उतने ही मैंने सपने बुने हैं
बेसबब हर शब अब देखता हूँ मैं ख़्वाब तु्म्हारा
गर कर सको तो करो यक़ीं, एक वादा करता हूँ अभी
न तोड़ा है न तोडूंगा जानाँ कभी ऐतबार तु्म्हारा
मेरी ग़ज़ल भी तुम हो, शायरी का दिल भी तुम हो
तुम्हारा हर दर्द मेरा, मेरा हर अशआर तुम्हारा
वैसे तो ख़्वाहिशों की कोई इंतहा नहीं, कोई दवा नहीं
फिर भी ज्यादा कुछ नहीं मांगू मैं साथ तु्म्हारा
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👏👏👏👏👏👏👏
बेहद नवाज़िश आपकी