
दुनिया की सबसे पुरानी वलित पर्वतमाला है अरावली
प्री क्रैम्बियन काल के पहाड़ों की महागाथा है अरावली
भूगोल के अनुसार यह प्राचीन गोंडवाना लैंड का हिस्सा है
राजपूताना से लेकर दिल्ली तक मशहूर इसका किस्सा है
थार के रेतीले टीलों को आगे बढ़ने से सिर्फ यही रोकती है
मगर मानसून के पैरेलल है, सो बादलों को नहीं रोकती है
राजस्थान के 17 जिलों में इसका व्यापक विस्तार है
कुदरत का करिश्मा यह सदियों पुराना कोहसार है
राजस्थानी भाषा में इसे आडावाळा डूंगर कहते हैं
इसकी सबसे ऊंची चोटी को गुरू शिखर कहते हैं
झीलों की नगरी से इसका गहरा लगाव है
अजमेर जिले में सबसे कम फैलाव है
समंदर के तल से औसत ऊंचाई है 930 मीटर
अरावली की कुल लंबाई है 692 किलोमीटर
उत्तर, मध्य और दक्षिण, बेसिकली तीन हिस्सों में बंटी हुई हैं
गुजरात के पालनपुर से लेकर राष्ट्रपति भवन तक फैली हुई है
पांच प्रमुख दर्रे इसके नाल कहलाते हैं
मेवाड़ के पठार ऊपरमाल कहलाते हैं
बाड़मेर में छप्पन की पहाड़ियां, तो अजमेर में मेरवाड़ा की पहाड़ियां
गर सीकर में है हर्ष पर्वत मालखेत, तो जालौर में सुंधा की पहाड़ियां
उदयपुर का उत्तर-पश्चिमी भाग मगरा कहलाता है
तश्तरीनुमा पहाड़ियों को जहां गिरवा कहा जाता हैं
लूनी और बनास नदी इसका विभाजन करती हैं
सिरोही की बेतरतीब पहाड़ियां भाकर कहलाती हैं
जोधपुर का मेहरानगढ़ हो या अजमेर का तारागढ़
अरावली के सीने पर सुशोभित हैं ऐसे अनेकों गढ़
भले ही मानसून को रोक पाने में असफल है अरावली
मगर थार को रोक पाने में यक़ीनन सफल है अरावली
बस इतनी सी इस महान पर्वतश्रृंखला की कहानी है
प्राचीन इतिहास की ये अद्भुत अद्वितीय निशानी है।