मोहब्बत को मेरी मज़बूरी समझ बैठी
होके वो दूर, दूरियों को ज़रूरी समझ बैठी
मैं करता रहा इंतज़ार, हर पल पल-पल उसका
वो नज़दीकियों का मतलब दूरी समझ बैठी…
मोहब्बत को मेरी मज़बूरी समझ बैठी
होके वो दूर, दूरियों को ज़रूरी समझ बैठी
मैं करता रहा इंतज़ार, हर पल पल-पल उसका
वो नज़दीकियों का मतलब दूरी समझ बैठी…