वो पूछती है, मेरे लिए क्यों लिखते हो तुम?
हर जगह आजकल इतने क्यों दिखते हो तुम
उसे क्या बताऊं, ये मन मेरा उसके मन से जुड़ गया
बैठा था कई दिनों से डाली पे जो, वो परिंदा उड़ गया
गर अब भी ना समझ पाए वो, तो अब और मैं क्या करूं
अब तक किया है जितना, प्यार उससे कहीं ज्यादा करूं
मुझको लगता है शायद, ख़बर है उसे भी मेरे दिल की
वरना यूं कोई क्यों पूछता हैं, राहों से डगर मंज़िल की
वो पूछती है मुझे इतना क्यों सोचते हो तुम
हर पल आजकल साथ मेरे क्यों होते हो तुम
उसे क्या बताऊं, ये दिल मेरा उसकी आस में बेचैन है
ना दिन का पता है इसे, ना होती इन दिनों कोई रैन है
गर अब भी ना समझ पाए वो, तो अब और मैं क्या करूं
अब तक किया है जितना, इश्क़ उससे कहीं ज्यादा करूं
मुझको लगता है शायद, ख़बर है उसे भी मेरे दिल की
वरना यूं कोई क्यों पूछता हैं, तूफ़ा से ख़बर साहिल की