समंदर किनारे नहीं जाता मैं अब लहरों का वो डर है अब भी कायम चलते-चलते पहुंच गया मैं इन पहाड़ों पे लहरों का जहाँ कोई नामोनिशां तक नहीं....
समंदर किनारे नहीं जाता मैं अब लहरों का वो डर है अब भी कायम चलते-चलते पहुंच गया मैं इन पहाड़ों पे लहरों का जहाँ कोई नामोनिशां तक नहीं....