मेरे दिल के हर हिस्से पे तेरा नाम लिखा है
जो पढ़ सको तो पढ़ लेना, दिल ने ये पैग़ाम लिखा है
बहुत हो गया, यूं चोरी छुपे देखना, जज़्बात पलकों पे सहेजना
इस बार तो दिल ने फ़रमान ये सरेआम लिखा है
दूरियां भले ही मुझे तुमसे, दूर कर दे पर ऐ सनम
ज़ेहन ने तसव्वुर पे तेरे बेशकीमती ईनाम रखा है
शायर हूँ तो ग़ज़ल में बात करता हूँ, ग़ज़ल में बात कहता हूँ
मोहब्बत का ये पहला ख़त मैंने तेरे नाम लिखा है
नज़रें मिली जिस रोज़ तुमसे, तेरा हो गया मैं तो ओ जानाँ
कभी ग़ौर से पढ़ना ये ग़ज़ल, प्यार का पयाम लिखा है
बहुत ग़म सह चुके हैं, बहुत तन्हा रह चुके हैं
पढ़ो कभी निगाहें, निगाहों में किस्सा तमाम लिखा है
पहुंचा सकूं तुम तक, अपने दिल की हर इक सदा
बस इसीलिए तो जानाँ, मैंने यह क़लाम लिखा है…