तुम भले ही इन दिनों ईद का चांद हो गई हो
पर मैंने तुम्हारे हिस्से की वो सेवइयां
संभालकर रखी हैं अब तक
मिलो कभी, तो अपने हाथों से खिलाऊं तुम्हें
हाँ पास बैठो कभी, तो जी भरके हंसाऊं तुम्हें
क्योंकि तुम जब हंसती हो
तो हवाओं में हर तरफ खुशी की एक लहर फैल जाती है
और तुम जब ख़ामोश होती हो
तो कायनात का हर ज़र्रा तुम्हारी धड़कन बनके धड़कने लगता हैं
हाँ तुम जब धीरे से शरमाती हो
तो काले घने बादल उमड़ आते हैं
फिर जब यूं हौले से दिल चुराती हो
तो वो बारिश के तोहफ़े मुझे हज़ार दे जाते हैं
इस बारिश में भीगने से ज़ुकाम नहीं होता है
इस बारिश में भीगनेे से तो आराम मिलता है
मिलो कभी इत्तेफ़ाकन ही ऐसी बारिश में, तो बताऊं तुम्हें
अब तक जितना पाया है, हाँ उससे कहीं ज्यादा पाऊं तुम्हें
तुम भले ही इन दिनों ईद का चांद हो चुकी हो
पर मैंने तुम्हारे हिस्से की वो सेवइयां
सहेजकर रखी हैं अब तक
मिलो कभी, तो अपने हाथों से खिलाऊं तुम्हें
हाँ पास बैठो कभी, तो जी भरके हंसाऊं तुम्हें
क्योंकि तुम जब हंसती हो तो फिर से ज़िंदा हो जाता हूँ मैं
यूं हर बार बार-बार फिर से जी उठना अच्छा लगता है मुझे
तन्हाई की बजाए तुम्हारे साथ जीना अच्छा लगता है मुझे...