तुम जब बात करती हो तो अच्छा लगता है
तुम जब पास रहती हो तो अच्छा लगता है
तुमसे दूर जाना, मुमकिन नहीं है जाँना
तुम जब साथ रहती हो तो अच्छा लगता है
पाकर यह सोहबत तेरी, मुकम्मल हो गई मोहब्बत मेरी
तुम जब साथ चलती हो तो अच्छा लगता है
पल भर की जुदाई, सदियों से लंबी लगती है
तुम जब पास बैठती हो तो अच्छा लगता है
आज़ाद हवा सी उड़ती रहो, हरदम ओ हमदम
तुम जब खुलके बहती हो तो अच्छा लगता है
चेहरा यह तुम्हारा, है सावन की पहली बारिश
तुम जब अल्हड़ हँसती हो तो अच्छा लगता है
वैसे तो नक़ाबपोश चेहरा मेरा, इज़ाज़त नहीं देता किसी को
Nicely written. Padhna Achaa Lagta hai.. 🙂
शुक्रिय़ा जनाब….बस दिल की अनकही बातें लफ्ज़ों के जरिए बाहर लाने की कोशिश कर लेता हूं