रोज़ाना तुमसे बात करने की सोचता हूँ
रोज़ाना तुमपे कुछ लिखने की सोचता हूँ
रोज़ाना मगर उन अल्फ़ाज़ों की तलाश अधूरी रह जाती हैं
जिन अल्फ़ाज़ो के ज़रिए मैं तुम तक वो एहसास पहुंचा सकूँ
रोज़़ाना मगर उस एहसास की प्यास अधूरी ही रह जाती हैं
जिस एहसास के ज़रिए मैं तुम्हें अपने दिल की आवाज़ सुना सकूँ
जिन अल्फ़ाज़ों के साये तले मैं अपने वो ज़ख़्म सी रहा हूँ
जिस एहसास के साये तले मैं आजकल दोबारा जी रहा हूँ
हां वही मखमली अल्फ़ाज़, पढ़कर जिन्हें दिल की बेचैनियां दूर हो जाती हैं
हां वही सुरमई एहसास, महसूस कर जिसे जिन्दगी नूर से तर हो जाती है
हां वही अजनबी आवाज़, सुनकर जिसे मेरी धड़कनें तेज़ होने लगती हैं
हां वही मयकशी अंदाज़, देखकर जिसे पलकें नए सपने बुनने लगती हैं
रोज़ाना तुमसे बात करने की सोचता हूँ
रोज़ाना तुमपे कुछ लिखने की सोचता हूँ
रोज़ाना मगर ना तो वो अल्फ़ाज़ मिलते हैं, ना ही वो एहसास
अब तो बस दिल में बस चुकी है, पूरी तरह से एक ऐसी प्यास
जिसको अब भी है, तेरे लौट आने की आस
जिसको अब भी है, तेरे मिल जाने की आस
इसी आस ने तो अब तक ज़िंदा रखा है मुझे
वरना वक़्त ने तो कई साज़िशें की थी मौत की
मगर मैंने इन सांसों से किया था, सौदा एक सच्चा