Month: June 2018
तुम इन दिनों ईद का चांद हो गई हो
तुम भले ही इन दिनों ईद का चांद हो गई हो
पर मैंने तुम्हारे हिस्से की वो सेवइयां
संभालकर रखी हैं अब तक
मिलो कभी, तो अपने हाथों से खिलाऊं तुम्हें
हाँ पास बैठो कभी, तो जी भरके हंसाऊं तुम्हें
क्योंकि तुम जब हंसती हो
तो हवाओं में हर तरफ खुशी की एक लहर फैल जाती है
और तुम जब ख़ामोश होती हो
तो कायनात का हर ज़र्रा तुम्हारी धड़कन बनके धड़कने लगता हैं
हाँ तुम जब धीरे से शरमाती हो
तो काले घने बादल उमड़ आते हैं
फिर जब यूं हौले से दिल चुराती हो
तो वो बारिश के तोहफ़े मुझे हज़ार दे जाते हैं
इस बारिश में भीगने से ज़ुकाम नहीं होता है
इस बारिश में भीगनेे से तो आराम मिलता है
मिलो कभी इत्तेफ़ाकन ही ऐसी बारिश में, तो बताऊं तुम्हें
अब तक जितना पाया है, हाँ उससे कहीं ज्यादा पाऊं तुम्हें
तुम भले ही इन दिनों ईद का चांद हो चुकी हो
पर मैंने तुम्हारे हिस्से की वो सेवइयां
सहेजकर रखी हैं अब तक
मिलो कभी, तो अपने हाथों से खिलाऊं तुम्हें
हाँ पास बैठो कभी, तो जी भरके हंसाऊं तुम्हें
क्योंकि तुम जब हंसती हो तो फिर से ज़िंदा हो जाता हूँ मैं
यूं हर बार बार-बार फिर से जी उठना अच्छा लगता है मुझे
तन्हाई की बजाए तुम्हारे साथ जीना अच्छा लगता है मुझे...
सच में यार, बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें
तुम्हारे माथे पे ज़ुल्फ़ की वो इक लट प्यारी लगती है मुझे
कई बार मैंने तुम्हें इस बारे में बताने का भी सोचा है
सच में यार, बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें मैं
बस कहने को लफ़्ज़ ही नहीं मिल पाते कभी
हालांकि लोग कहते हैं, मैं एक शायर हूँ
लफ़्ज़ों से रिश्ता बहुत गहरा है मेरा
मगर जब भी दिल की बात कहने की बारी आती है
लफ़्ज़ों से रिश्ता मेरा एक अजनबी की तरह हो जाता है
कल तक जिस क़लम को हमदम कहा करता था
आज वही क़लम साथ देने से इंकार कर देती है
मुझे लगता है ये सब जज़्बातों का तिलिस्म हैं
बिना रूह के इस जहान में बेजान हर जिस्म हैं
तुम वही गुमशुदा रूह हो मेरी, जो बरसों पहले बिछुड़ गई थी
अब जाकर मिली हो, इस बार तो छोड़कर नहीं जाओगी ना…
दिल ने ये पैग़ाम लिखा है
मेरे दिल के हर हिस्से पे तेरा नाम लिखा है
जो पढ़ सको तो पढ़ लेना, दिल ने ये पैग़ाम लिखा है
बहुत हो गया, यूं चोरी छुपे देखना, जज़्बात पलकों पे सहेजना
इस बार तो दिल ने फ़रमान ये सरेआम लिखा है
दूरियां भले ही मुझे तुमसे, दूर कर दे पर ऐ सनम
ज़ेहन ने तसव्वुर पे तेरे बेशकीमती ईनाम रखा है
शायर हूँ तो ग़ज़ल में बात करता हूँ, ग़ज़ल में बात कहता हूँ
मोहब्बत का ये पहला ख़त मैंने तेरे नाम लिखा है
नज़रें मिली जिस रोज़ तुमसे, तेरा हो गया मैं तो ओ जानाँ
कभी ग़ौर से पढ़ना ये ग़ज़ल, प्यार का पयाम लिखा है
बहुत ग़म सह चुके हैं, बहुत तन्हा रह चुके हैं
पढ़ो कभी निगाहें, निगाहों में किस्सा तमाम लिखा है
पहुंचा सकूं तुम तक, अपने दिल की हर इक सदा
बस इसीलिए तो जानाँ, मैंने यह क़लाम लिखा है…
तन की सीप तलाशते सभी
मन के मोती छोड़कर यहां
तन की सीप तलाशते सभी
तुम्हें तो पता भी नहीं, कितना चाहता हूँ तुम्हें
तुम्हें तो पता भी नहीं, कितना चाहता हूँ तुम्हें
पता चले भी तो कैसे, बेअल्फ़ाज़ ख़त लिखता हूँ तुम्हें
पहली बार जिस रोज़ तुमको देखा था, बस देखता ही रह गया
बाद उसके अब हर जगह बेवज़ह देखता हूँ तुम्हेंं
तुम्हारा चेहरा किसी की याद दिलाता है, पता नहीं किसकी
सोच भी खुद पड़ जाएं सोच में, इतना सोचता हूँ तुम्हें
तु्म्हारी हंसी का वो इक क़तरा, संभालकर रखा है दिल में
जब भी दिल करता है, बेतहाशा जीता हूँ तु्म्हें
आँखें तुम्हारी हैं ग़ज़ल, चेहरा जैसे कोई किताब
जी भरके देखता हूँ पहले, फिर धीरे-धीरे पढ़ता हूँ तुम्हें
पता नहीं तुम कौन हो, हाँ दिल-ए-नादान का चैन हो
दरगाह पे धागे बांधकर, मन्नतों में मांगता हूँ तुम्हें
मैं ज्यादा तो कुछ नहीं जानता, ये क्या हो रहा हैं, ये क्यों हो रहा हैं
बस अपनी हर इक साँस में महसूस करता हूँ तु्म्हें…
उस शख़्स की याद दिलाती हो तुम
उस शख़्स की याद दिलाती हो तुम
जिसे याद करके धड़कन धड़कती है
एक मैं ही उससे मीलों दूर था
कुछ तो नज़रों का कुसूर था
कुछ उसका संदली सुरूर था
वो थी मेरे पास, हर दफ़ा हर सांस
एक मैं ही उससे मीलों दूर था
तुम्हारी तस्वीर देखने के बाद ही आजकल मुझे नींद आती है
तुम्हारी तस्वीर देखने के बाद ही आजकल मुझे नींद आती है
जो ना देखू तुम्हारा नक़्श तो नींद कोसों दूर चली जाती है
लगता है तुमने सुकून भरी नींद को सुरमे की तरह अपनी आँखों में लगा लिया है
और जो बाक़ी बचा कुचा चैन-ओ-सुकूं था वो तुमने अपने आँचल में छुपा दिया है
हालाँकि तुम्हें यह बखूबी पता चल जाता है
कि मैं देर रात तक तुम्हारी तस्वीरें देखता रहता हूँ
देर रात तक तुम्हें यूं तकने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
मगर मैं करूँ भी तो क्या करूँ आखिर
मोहब्बत का मारा दिल ये बेचारा
इज़हार-ए-मोहब्बत करने से डरता है बहुत
इसीलिए तो अक्सर रात रात भर
तुम्हारी तस्वीरों के ज़रिए तुम्हें अपने आसपास महसूस कर लेता है
अब तक तुम्हारी कई तस्वीरें देख चुका हूँ मैं
हर तस्वीर में तुम बेनज़ीर बेहद हसीन लगती हो
किसी में माहज़बीं तो किसी में नाज़नीन लगती हो
कभी चश्मिश बन जाती हो, तो कभी बिना चश्मे के चैन चुराती हो
कभी ख़्वाहिश बन जाती हो, तो कभी बारिश बनके ख़ूब भिगाती हो
कभी फसल की तरह लहराती हो, तो कभी मासूम परी सी शर्माती हो
कई अलबेले से रंग नज़र आते हैं तुम्हारी तस्वीरों में
जीने के बेहतर ढंग नज़र आते हैं तु्म्हारी तस्वीरों में
तु्म्हारी हर एक तस्वीर मेरे लिए बहुत अनमोल हैं
नज़रों से देखकर इन्हें अपने दिल में सहेज लेता हूँ
तस्वीरों के इस तोहफ़े के लिए बेहद शुक्रिया
उम्मीद करता हूँ अगली बार जब भी तुम्हारी तस्वीर देखूंगा
तो तुम उस तस्वीर से बाहर निकलकर मेरे सामने आ जाओगी
और तब बताऊंगा यूं तुम्हें
के कितना चाहता हूँ तुम्हें…
है अपने अंदर कहीं अब तक वो ज़िदां…
ईद मनाके घर से लौट आया इक बंदा
जमाना समझ रहा जिसे नादां परिंदा
करे इंकार दुनिया भले वज़ूद से उसके
है अपने अंदर कहीं अब तक वो ज़िदां
तो अच्छा लगता है…
तुम जब बात करती हो तो अच्छा लगता है
पर जब तुम मुझे यूं देखती हो तो अच्छा लगता है।
जब कई दिन हो जाते हैं तुमको देखे गए
जब कई दिन हो जाते हैं तुमको देखे गए
हमें मिलकर कुछ यादें सहेज लेनी चाहिए…
रोज़ाना तुमपे कुछ लिखने की सोचता हूँ….
रोज़ाना तुमसे बात करने की सोचता हूँ
मुझे यक़ीं था है और रहेगा, यह इश्क़ मेरा है सच्चा।
Happywala birthday ashu…
तारीफ में जिसकी अल्फ़ाज़ नहीं मिलते
एक ऐसा दोस्त किस्मत से पाया है मैंने…
तुम बस एक ख़याल नहीं हो…
तुम बस एक ख़याल नहीं हो, जो ज़ेहन की तश्तरी से भाप बनकर उड़ जाएं
बिना रुके बस चलता रहता है…
लफ़्ज़ों की क़ैफ़ियत कई गुना बढ़ जाती हैं
लफ़्ज़ों की क़ैफ़ियत कई गुना बढ़ जाती हैं
जब तुम इन्हें अपनी उंगलियों से छूकर पढ़ती हो
तुम्हारे जाने के बाद मुझको ये एहसास हुआ
तुम्हारे जाने के बाद मुझको ये एहसास हुआ के तुम्हें रोकने की कोशिश क्यों नहीं की मैंने हालांकि जाते वक्त तुमने मुझे अपना पता बताया था लेेकिन तुम्हारा पता सुुुुनते वक्त मैं लापता हो चुका था अब जो भी हो जानाँ, तुमसे मोहब्बत हो गई है तुम्हारी याद में जलना, यूं मेरी आदत हो गई है हर वक्त तुम्हारी बातें करना, दफ्तर की नौकरी से बेहतर है हर घड़ी तुम्हारी आँखें पढ़ना, आईआईटी की तैयारी से बेटर है आजकल तो इस नींद ने भी निगाहों से रिश्वत ले रखी है तुम्हारी तस्वीर देखे बिना ये स्लीप मोड में जाती ही नहीं मुझे और मेरे जज़्बातों को समझने के बजाए महसूस करना तब तुम्हें पता चलेगा, ज़िंदगी हम पे क्यूँ मेहरबान हो रही है गर फुर्सत मिले कभी, तो एक फोन कर देना यूंही कहीं कुछ बातें करनी हैं, वो जो कब से लबों पे आके ठहरी हैं तुम्हें खोने के बाद मुझको ये एहसास हुआ के तुम्हें पाने की कोशिश क्यों नहीं की मैंने।
पिछले कुछ दिनों से बहुत ज्यादा याद आ रही हो
पिछले कुछ दिनों से बहुत ज्यादा याद आ रही हो
ऐसा लगता है मानो तुम मेरे और पास आ रही हो
वैसे इतने दिनों से पास ही तो हो तुम, दूर कब गई तुम
यह वहम तो नज़रों को क़दमों के निशां देखकर हुआ है
बहुत मुश्किल हो जाता है कभी-कभी दिल को संभाल पाना
दिल तो बच्चा है ना, अक्सर अपनी ज़िद पर अड़ जाता है
हालांकि अक़्ल भी कभी-कभी नादान होने की नक़्ल कर लेती है
लेकिन आखिर में यह भी अपनी समझदारी पर उतर आती है
और बना देती है मुझे हर बार, पहले से और ज्यादा सख़्त
ज़ेहन की वादी में फिर भी, पनपता रहता है वो यादों का दरख़्त
हरे पत्तों पे जिसके नज़र आता है तु्म्हारी ही नक्श
उसी नक्श की तलब ने तो बना दिया है मुझे, कोई और ही शख़्स
एक ऐसा शख़्स, जो ढूंढ रहा है खुद अपना ही अक्स
आईना जिसकी आँखों में है, फिर भी नाबीना सा कर रहा है रक्स
इस बार तो अलविदा को भी अलविदा कहना है
अब और नहीं सहा जाता इन दूरियों का सितम
पिछले कुछ दिनों से बहुत ज्यादा याद आ रही हो
ऐसा लगता है मानो तुम मुझमें घर बना रही हो।
तुम्हारी याद जब आती है, मैं वो तस्वीर देख लेता हूूँ
तुम्हारी याद जब आती है, मैं वो तस्वीर देख लेता हूूँ
जिस तस्वीर मेंं तुम मुझ को मेरी तक़दीर लगती हो
कुछ ही तो तस्वीरें हैं तुम्हारी मेरे पास, सो किश्तों मेें देखा करता हूँ
कोई नहीं चाह सकता तुम्हें इस तरह, जिस तरह मैं तुम्हें चाहता हूँ
तुमसे जुड़ी हर चीज मुझे अब अपनी लगती हैं
तुम्हारी बातें वो यादें बहुत ही अच्छी लगती हैं
दूर जाकर भी हर वक़्त मेरे पास रहती हो
ऐसा लगता है मानो आसपास कहीं बैठी हो
याद है मुझे वो मुस्कुराकर मिलना तेरा
उसी मुस्कुराहट से तो बनता था दिन मेरा
कई बार तुमने ही तो जी भरके हँसाया मुझे
दर्द के दरिया से सौ बार बाहर निकाला मुझे
हालांकि तुमसे बात करने को, जी तो बहुत करता है मेरा
मगर मोहब्बत का मारा ये दिल बेचारा बहुत डरता है मेरा
रोज़ तुम्हारे नंबर मोबाइल में टाइप करके मिटा देता हूँ
मुझमें है तू कहीं, यही सोचकर खुद को तसल्ली देता हूँ
तुम्हारी याद जब आती है, मैं वो पल याद कर लेता हूूँ
जिस एक पल मेंं तुम मुझ को मेरी तक़दीर लगती हो
ज्योंही तुमने जाने की कहा, और मेरा यह चेहरा उतर गया
ज्योंही तुमने जाने की कहा, और मेरा यह चेहरा उतर गया
हालांकि ज्यादा कुछ हुआ नहीं, बस वक़्त वहीं पे ठहर गया
इस थोड़े से वक़्त में ही तुमने मुझे कई यादें दी हैं
याद हैं मुझे वो सब, बिन कहे जो हमने बातें की हैं
दिल ठहरा नादान, सो बिना सोचे समझे अपनी करता रहा
दिल ही दिल में चाहत पाल ली, कहने से मगर ये डरता रहा
तुम्हें तो शायद पता भी नहीं, के कितना चाहता हूँ तु्म्हें
हर जगह नज़र आती हो, इतना ज्यादा सोचता हूँ तुम्हें
हर रोज़ दिन ढलने का इंतज़ार पसंद था मुझे
वही इंतज़ार, जिसने यूं बेक़रार किया था मुझे
तुम्हारे साथ बिताया हर एक लम्हा, पूरी सदी की तरह लगता है
अल्हड़ अलमस्त किरदार तुम्हारा, किसी नदी की तरह लगता है
हो सकता है…यह मोहब्बत मेरी एकतरफ़ा हो
मगर इतना ज़रूर कहूंगा, के तुम नेक वफ़ा हो
इतनी ख़ूबसूरत यादें देने के लिए शुक्रिया
पहली ही नज़र में अपना बनाने के लिए शुक्रिया
ज्योंही तुमने अलविदा कहा, और मेरा यह दिल टूट गया
हालांकि ज्यादा कुछ हुआ नहीं, बस यह फिर से बंजर हो गया।
ये ज़िंदगी नंबर से नहीं अंदर की आवाज़ से बनती है
सबने यही कहा कि दसवीं में अच्छे नंबर ले आओ तो ज़िंदगी बन जाएगी
पर किसी ने नहीं कहा ये ज़िंदगी नंबर से नहीं अंदर की आवाज़ से बनती है