Month: May 2018
मेरे दिल के दफ़्तर में एक लड़की काम करती है…
मेरे दिल के दफ़्तर में एक लड़की काम करती है
आसपास जिसके होने से यह ज़िन्दगी महकती है
जिस रोज़ वो नहीं आती है, उस रोज़ मेरा मन नहीं लगता है
जिस रोज़ वो नहीं दिखती है, उस रोज़ ये दिल बहुत डरता है
ना कोई बिन बुलायी मेहमान है, ना कोई पुरानी जान पहचान है
फिर भी ऐसा लगता है मानो, गुज़री यादों में उसके ही निशान है
उसकी एक मुस्कुराहट से दिन भर की थकान उतर जाती है
उसके क़दमों की आहट सुनते ही ख़ामोशी भी मचल जाती है
क़लम की तरह सीधे दिल पे वार करती है
आँखों ही आँखों में बेनज़ीर इक़रार करती है
मेरे दिल के दफ़्तर में एक लड़की काम करती है
आसपास जिसके होने से बंजर में भी बारिश होती है
जिस रोज़ वो नहीं आती है, उस रोज़ मेरा मन नहीं लगता है
उस रोज उसकी याद में हर एक पल मानो सदी सा गुज़रता है
ना कोई मुंतज़िर मेजबान है, ना कोई पुरानी जान पहचान है
फिर भी ऐसा लगता है मानो, उसी में बस गई मेरी जान है।
औरों का नहीं खुद के बदल जाने का डर लगता है…
औरों का नहीं खुद के बदल जाने का डर लगता है
मुझको अपने दिल का एक हिस्सा बेघर लगता है…
चट्टानो के दरमियां नमी पाकर एक पौधा पनपता है
इन निगाहों की तलब तो केवल दिल ये समझता है
चट्टानो के दरमियां नमी पाकर एक पौधा पनपता है
तश्ना लबों का प्यास की शिद्दत से इंकार कर देना
तश्ना लबों का प्यास की शिद्दत से इंकार कर देना
मालिक-ए-दो जहां को महबूब है बंदे की यही अदा
When a science student become poet….
फिजिक्स सब फेल है, तुम्हारी आँखों के आगे मैथ्स डब्बा गोल है, तुम्हारी बातों के आगे
केमिस्ट्री कोई झोल है, तुम्हारी यादों के आगे बायो डावांडोल है, तुम्हारी साँसों के आगे सारे subject सारे concept, बदल के रख दिए तुमने सारे principle सारे object, पलट के रख दिए तुमने science की समझ से बाहर, एक अजूबा हो तुम science student रह चुके शायर की महबूबा हो तुम तुम्हारी चमकती हुई नज़रों ने ही तो मुझे reflection का पाठ पढ़ाया तुम्हारी झुकती हुई पलकों ने ही तो मुझे gravity का गुर सिखाया तुम्हारी महकती हुई खुशबू ने ही तो मुझे oxygen का एहसास कराया तुम्हारी सुलगती हुई आरज़ू ने ही तो मुझे जला-जलाके carbon बनाया तुम्हारे मखमली एहसास ने ही तो मुझे बिना दिल के जीना सिखाया तुम्हारे अजनबी उस अक्स ने ही तो मुझे चट्टानों सा मज़बूत बनाया तुम्हारे लहराते गेसुओं ने ही तो मुझे newton के नियम बताये तुम्हारे बलखाते बाजुओं ने ही तो मुझे वायु के सिद्धांत समझाये तुम्हारी बेहिसाब वफाओं ने ही तो मुझे हिसाब करना सिखाया तुम्हारी बेनज़ीर सी बातों ने ही तो मुझे सवाल पूछना सिखाया सारे नियम सारी theories पलट के रख दी तुमने सारे किरदार सारी stories बदल के रख दी तुमने विज्ञान के वज़ूद से दूर बस एक सपना हो तुम विज्ञान छात्र रह चुके कवि की कल्पना हो तुम... #RockShayar
ख़ुद को खोकर शख़्स कोई बेगाना ढूंढता हूँ…
तुमसे बात करने का बहाना ढूंढता हूँ
तुम्हारी आँखों में गुज़रा ज़माना ढूंढता हूँ
न जाने कैसा सफ़र है नज़रों से नज़रों का
ख़ुद को खोकर शख़्स कोई बेगाना ढूंढता हूँ…
तुम्हारे पश्मीना पहलु की छांव
तुम्हारे पश्मीना पहलु की छांव मुझे ज़िंदगी की धूप से बचाती है निगाहों की चादर बेचैनियां दूर करके अपने आगोश में सुलाती है बहुत दिन हो गए हैं, बर्फ की उस ठिठुरती हुई बारिश में भीगे हुए वादियों की सदा ख़्वाबों के ज़रिए आजकल अपने पास बुलाती है
हालाँकि तुम्हारे घर का पता, अब भी मेरे लिए है लापता जब भी याद करने की कोशिश करता हूँ आँखें सब कुछ बहा देती है तुम्हारा ज़िक़्र जब भी करता हूँ, ख़यालों से खुशबू आती है रूह मेरी वो तुमसे जुड़कर मोहब्बत के तराने गुनगुनाती है कई बार बहुत ज्यादा याद आती हो, रात भर पलकें भिगाती हो लेकिन जब सुबह होती है, ओस की बूंदों की तरह गुम हो जाती हो गर इत्तेफ़ाक़न ही मुलाक़ात हो जाएं तो उसे कुदरत का इशारा समझ लेना इस दफ़ा अलविदा को अलविदा कहके दूर-दूर नहीं, हमें पास-पास है रहना आज भी सोने से पहले तकिये के नीचे तुम्हारी तस्वीर रखता हूँ क्या मालूम फिर से वही सुनहरे तुम्हारे ख़्वाब आने शुरू हो जाये बेनज़ीर सी वो बातें ना सही मगर कभी तो हालचाल पूछने ही चली आओ इंतज़ार को भी इंतज़ार करते हुए एक अर्सा हो गया है अब तो चली आओ...
पलकों के पीछे कई गहरे राज़ छुपे हैं
पलकों के पीछे कई गहरे राज़ छुपे हैं
ज़िंदगी के ज़िंदा कुछ एहसास छुपे हैं।
अधजगी आँखों के अफ़साने बस इतना समझ लीजिए
ना लिख पाया जिन्हें वो अल्फ़ाज़ छुपे हैं।।
ना लिख पाया जिन्हें वो अल्फ़ाज़ छुपे हैं।।
6th Birth Anniversary of RockShayar
आज फिर दिल बहुत रो रहा है
आज फिर यूं सीने में दर्द हो रहा है
आज फिर वो चैन-ओ-सुकूं सब खो रहा है
आज फिर वही खौफ़नाक एहसास हो रहा है
आज फिर दिल बहुत रो रहा है।
आज फिर ये अश्क़ों का बोझ ढो रहा है
आज फिर ये नफ़रत के बीज बो रहा है
आज फिर वही दर्दनाक एहसास हो रहा है
आज फिर दिल बहुत रो रहा है।
आज फिर ये होश-ओ-हवास खो रहा है
आज फिर ये शदीद गहरी नींद सो रहा है
आज फिर वही अजनबी एहसास हो रहा है
आज फिर दिल बहुत रो रहा है
आज फिर दिल बहुत रो रहा है।।