राजस्थान का दिल यहाँ के, लोक गीतों में बसता हैं
अवसर हो चाहे कोई भी, माहौल तो इन्हीं से बनता हैं
केसरिया बालम आओ नी, पधारो म्हारे देस
राज्य गीत ये गाये वही, पिया जिनके गये परदेस
पानी भरने वाली स्त्रियां, पनघट पर गाती हैं कई गीत
इंडोणी और पणिहारी के ज़रिए, पूछे कहाँ मेरा मनमीत
मेवाड़ का हमसीढ़ो तो जी, स्त्री-पुरुष का सामूहिक लोक गीत है
कैलादेवी के मेले में गूँजने वाला, लांगुरिया एक भक्तिगीत है
गणगौर के अवसर पे, गोल घेरे में घूमर गीत गाते हैं
विवाह में समधिनों के गाली गीत, सीठणे कहलाते हैं
गोरबंद नखराळो गीत में ऊँट का श्रृंगार बताया गया है
मोरिया अच्छा बोल्यो रे में सगाईशुदा की व्यथा बयां है
पीहर की याद में अक्सर बालिका वधू, चिरमी गीत गाती हैं
सूंवटिया में तोते द्वारा भीलनी, पति को संदेसा भिजवाती है
सिरोही क्षेत्र का ढोला-मारु, प्रेमकथा पर आधारित है
उपवन में मिलन का पपीहा गीत, पक्षी को संबोधित है
काजळियो गीत गाते हुए, होली पर चंग बजाया जाता है
हाड़ौती और ढूँढाड़ के मेलों में पंछीड़ा गीत गाया जाता है
रातीजगे में रातभर जगती हैं, ब्याह में बना-बनी गाती हैं
बारात का डेरा देखकर, औरतें जलो और जलाल गाती हैं
हिण्डोला सुणके, सावण झूला झूलने आता है
लाडो राणी की विदाई पे, ओल्यूँ गाया जाता है
बिछुड़ो गीत में एक पतिव्रता स्त्री की आत्मा रहती है
मरते वक़्त पति को वह दूसरी शादी करने को कहती है
होली के बाद मारवाड़ में कन्याएं, घुड़ला गीत गाती हैं
लावणी गीत गाकर ही नायिका, नायक को बुलाती है
अपने प्रियतम की याद में, विरहणी आँसू बहाती है
कुरजाँ, कागा, और हिचकी जैसे कई गीत वो गाती हैं
एक बार आओ जी जवाई जी पावणा, दामाद के लिए है
कामण गीत वर-वधू को बुरी नज़र से बचाने के लिए है
खेतों में काम करते हुए, किसान भाई गाते हैं तेजा गीत
रामलीला और रासलीला, दोनों का मिलन है हरजस गीत
लोद्रवा की राजकुमारी पर आधारित, प्रेम गीत है मूमल
सुनकर जिसे रेतीले मन में, फूटने लगती है नव कोपल
कांगसियो जीरो सुपणा, रसिया पीपळी बधावा और जच्चा
माटी से जुड़े इन गीतों को सुनकर, होता है एहसास सच्चा
सुख-दुःख, विरह, बैर, भक्ति, श्रृंगार, वीर और प्रीत
अमर रहेंगे यूँही सदा, राजपूताना के सब लोक गीत
जितना जान पाया उसे, कविता में समेटने की कोशिश की है
बरसों पुरानी धरोहर को, काग़ज़ पे सहेजने की कोशिश की है।
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