बरसती हुई बारिश में, जैसे एक कप चाय मिल जाये
कई दिनों के बाद, जैसे कोई बिन बताये मिल जाये
सालों सूखे के बाद, जैसे सहरा में फूल खिल जाये
अलविदा कह चुका, बिछुड़ा कोई यार मिल जाये
तब कैसा लगता है? बताया नहीं जा सकता उसे
तब जैसा लगता है, छुपाया नहीं जा सकता उसे
तब वैसा लगता है, जताया नहीं जा सकता जिसे।
सफ़र में चलते-चलते, जैसे कोई पेड़ मिल जाये
छुपाकर रखा हुआ, यादों का कोई ढेर मिल जाये
दर्द से बिखरा हुआ, दोबारा कोई दिल जुड़ जाये
पिंजरे की बंदिश तोड़के, जैसे कोई परिंदा उड़ जाये
तब कैसा लगता है? बताया नहीं जा सकता उसे
तब जैसा लगता है, छुपाया नहीं जा सकता उसे
तब वैसा लगता है, जताया नहीं जा सकता जिसे।
लावारिस इस ज़िन्दगी में, जैसे कोई अपना मिल जाये
दर बदर भटकते हुए, घर जाने का रस्ता मिल जाये
अँधेरों के आँगन में, नूर का कोई क़तरा मिल जाये
दुआओं के दामन में, दिल का खोया टुकड़ा मिल जाये
तब कैसा लगता है? बताया नहीं जा सकता उसे
तब जैसा लगता है, छुपाया नहीं जा सकता उसे
तब वैसा लगता है, जताया नहीं जा सकता जिसे।।
क्या बात !