आज भी जब तुम्हारी याद आती है
आँखों से नींदें कोसो दूर चली जाती हैं
सपनो की दुनिया खुद एक सपना बन जाती है
बावरे मन को सांवरे की हर इक अदा लुभाती है
आज भी जब तुम्हारी याद आती है
नैनों से यादें खुदबखुद बाहर आ जाती हैं…
तुम्हारे जाने के बाद बहुत दिनों तक मैं रोता ही रहा
तुम्हें खोने के बाद महीनों तक खुद को खोता ही रहा
तुम्हारे संग बिताये लम्हों की खुशबू पास बुलाती हैं
न देखे जो दिल ने कभी, ऐसे हसीं नज़ारे दिखाती हैं
आज भी जब तुम्हारी याद आती है
सीने से सब साँसें उफनकर बाहर आ जाती हैं…
तुमने कभी ग़ौर फ़रमाया हम क्यों मिले थे
धीमी-धीमी आंच में अंदर तक क्यों जले थे
क्यों ज़िंदगी तुम पे अपना हक़ जताती है
बंजर में बारिश का वो मंज़र दिखाती हैं
आज भी जब तुम्हारी याद आती है
लबों पे ख़ामोशी क़ायम हो जाती हैं
आज भी जब तुम्हारी याद आती है
आँखों से नींदें कोसो दूर चली जाती हैं…