तुम जब कहीं और देखती हो
तब तुम्हें देखता हूँ मैं
यूं जब अपनी ज़ुल्फ़ें झटकती हो
तब तुम्हें देखता हूँ मैं
उस एक पल में खो जाता हूँ
उस एक पल में तुम्हारा हो जाता हूँ
तुम जब मुझको ऐसे पल देती हो
तब तुम्हें देखता हूँ मैं
तुम्हारे चेहरे का नेकदिल नूर
आँखों में साफ़ झलकता है
तुम जब हिज़ाब में चेहरा छुपाती हो
तब तुम्हें देखता हूँ मैं
मेरी नींदें उड़ाकर तुमने अपनी पलकों पर सजा ली
तभी तो जानाँ
तुम जब नींद में अपनी पलकें बंद करती हो
तब तुम्हें देखता हूँ मैं
बहुत कोशिश करता हूँ
धुंधली हो चुकी उन यादों को फिर से ज़िंदा करने की
मगर तुम जब यादों में नज़र नहीं आती हो
तब तुम्हें देखता हूँ मैं
मोहब्बत तुम्हें भी है मुझे भी है
ये छुपाये कहाँ छुपती है?
तुम जब धीरे से शरमाकर अपना मुंह छुपाती हो
तब तुम्हें देखता हूँ मैं
वैसे तो तुम्हारा पता
अब लापता हो चुका है
पर फिर भी जब तुम भूले भटके मेरे ख़्वाबों में आती हो
तब तुम्हें देखता हूँ मैं।