पहले खुश होकर जाता था
अब नाखुश होकर जाता हूँ
कहने को घर अब भी वही है मेरा
बस घर जाने की सूरत बदल गई
घर के आंगन से साज़िशों की बू आती हैं
घर की दीवारें रंज़िशों का पता बताती हैं
घर का हर दर अपनों के सितम का गवाह है
घर में रहने वाले घर की बर्बादी की वज़ह है
पहले घर जाने के बहाने ढूंढता था
अब घर न जाने के बहाने ढूंढता हूँ
कहने को घर अब भी वही है मेरा
बस घर जाने की नीयत बदल गई
घर के बंद कमरों में ज़िंदगी सिसकती है
घर के तंग कोनों में दग़ाबाज़ी झलकती है
घर की बुनियाद में सदियों से धोखा पल रहा है
उसी ज़हर का असर है जो यह दिल जल रहा है
पहले घर से दूर जाने से डरता था
अब घर के पास आने से डरता हूँ
कहने को घर अब भी वही है मेरा
बस घर जाने की हसरत बदल गई।