तुम्हारी ज़ुल्फ़ों की लहराती लट जब भी चेहरे पे गिरती है
सीने में छुपे मेरे मासूम दिल पे ये ज़िंदगी मेहरबां होती है
कानों के चमकते हुए झुमके तुम्हारी हँसी की तरह यूँ खनकते हैं
गालों के गुलाबी गुलाब एहसास की ओंस में भीगे हुए से लगते हैं
तुम्हारे सुर्ख़ लबों से होते हुए लफ़्ज़ सीधे दिल में उतर जाते हैं
तुम्हारे चेहरे को देखते ही बादल बेमौसम बारिश बन जाते हैं
तुम्हारी नज़ाकत भरी नज़रों का नज़राना जब पेश होता है
ठीक उसी वक्त यह दिल अपना चैन-ओ-सुकूं सब खोता है
तुम्हारी तस्वीर जब देखता हूँ आँखों में कई तस्वीरें क़ैद हो जाती हैं
वही तस्वीरें जिनके तकिये का सहारा लेकर ये तन्हाई सो पाती हैं
तुम्हारी दिलकश आवाज़ में अलहदा अंदाज़ समाया है
ख़ामोशी को बोलना भी तो आखिर इसी ने सिखाया है
तुम्हें याद करते ही चेहरे पर रौनक आ जाती है
रंजिशों से परेशान रूह को राहत मिल जाती है
इस गुलपोश गुफ़्तगू में कुछ बातें अनकही रह गई
जिन्हें समझने के लिये जज़्बात की ज़बान ज़रूरी है।