
जहां जताना हो, वहां प्यार जताती नहीं
दिल में क्या है, ज़िंदगी कभी बताती नहीं
एक अर्से तक दिल ने बहुत अंधेरा देखा है
रौशनी से दूरी ज्यादा देर अब सुहाती नहीं
छीलकर रख देती है, दर्द की बेदर्द बयार
रूह को वक़्त की यही फ़ितरत भाती नहीं
हर सफ़र की हमसफ़र हैं, और गवाह भी
मेरी नज़रें मुझसे कभी कुछ छुपाती नहीं
तू क्या गई, सावन भी संग अपने ले गई
बारिश में भी बारिश आजकल आती नहीं
कई दहलीज़ें लांघ चुका हैं, मन मेरा ये बंजारा
डर की दहलीज़, दरमियान अब आती नहीं
आईना देखा, तो मालूम चला तिलिस्म यह
तेरे बिना तो मुस्कुराहट भी मुस्कुराती नहीं।
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