अंदर से अनजान तू बाहर कहाँ है बिना रास्तों के सफ़र सफ़र कहाँ है। जिसे ढूँढ रहा है कई बरसों से तू रेत का वो घरौंदा तेरा वो घर कहाँ है।।
अंदर से अनजान तू बाहर कहाँ है बिना रास्तों के सफ़र सफ़र कहाँ है। जिसे ढूँढ रहा है कई बरसों से तू रेत का वो घरौंदा तेरा वो घर कहाँ है।।