तलाश कभी भी ख़त्म नहीं होती है तलाश तो बस सोच की एक किस्म होती है तक़दीर के पन्नों पर कई सवाल लिखती है तलाश तो खुद अपने बारे में सवाल करती है भीड़ में अक्सर गुम हो जाती है तलाश में आँखें नम हो जाती हैं हर जगह ना जाने क्या ढूँढती है तलाश तो बस खोयी हुयी एक आस ढूँढती है हक़ीक़त जानना ही नहीं चाहती है तलाश तो बस तलाश रहना चाहती है पानी पर चलने का वहम पैदा करती है तलाश तो खुद अपने क़दमों के निशां छोड़ती है तलाश कभी भी पूरी नहीं होती है तलाश तो बस मन की अधूरी प्यास होती है।