क्या बादलों पे चलना चाहते हो
तुम गिरके फिर संभलना चाहते हो
तो खोल दो अपने वो पंख सारे
गर परिंदों के जैसे उड़ना चाहते हो
पहले अपने दिल को रौशन करो
गर रौशनी के जैसे दिखना चाहते हो
बेतहाशा सब्र रखो और दर्द चखो
गर आग के जैसे जलना चाहते हो
मिटा दो मन के अँधेरे वो सारे
गर सूरज के जैसे बनना चाहते हो
थमना नहीं है कहीं, बात यही है सही
गर सफ़र के जैसे चलना चाहते हो
ज़िन्दगी को हँसकर गले लगाओ, नाचो गाओ ख़ुशी मनाओ
गर ज़िन्दगी के जैसे जीना चाहते हो।