मुझमें है जो मेरा उसे कहीं और ढूँढता हूँ
मैं गुमशुदा राहों से अपना पता पूछता हूँ
हक़ीक़त से मुझको रूबरू कराने वाले
मैं ख़्वाब में भी तेरा ख़्वाब देखता हूँ
करने को तो बहुत कुछ हैं, इस दुनिया में मगर
दिल लगे जिसमें काम मैं वही करता हूँ
सुनने में अजीब है, लेकिन सच यही है
मैं अनजानों से नहीं अपनों से डरता हूँ
दूर है मंज़िल पास है मुश्किल, इसलिये
सफ़र के लिये कुछ साँसें बचाके रखता हूँ
चलना बेहद ज़रूरी है, रुकना तो खुद एक दूरी है
मैं बिना रुके बेसबब बस चलता रहता हूँ
सवालों के सफ़र में जवाब बस यही मिला
मुझमें है जो मेरा उसे कोई और कहता हूँ।