उदास नहीं होता मैं अब, खुश रहने की आदत हो गई
एहसास नहीं होता ये अब, दिल को ये आदत हो गई
अपने आप से पूछता हूँ, आजकल मैं कई सवाल
वही सवाल, जिनके जवाब मुझको भी नहीं पता
दिल का दिल बैठ जाता है, जब भी वो वक़्त आता है
वही वक़्त, जिसमें कि खुद वक़्त भी ठहर जाता है
तुमसे मिलने की उम्मीद अब भी क़ायम है
और उम्मीद पर तो दुनिया क़ायम है
उदास होने पर एक जगह बैठ जाता हूँ
सोचना-समझना सब बंद कर देता हूँ
मेरे अंदर जो शख़्स है, उसे मेरी बड़ी फिक्र है
एक वही तो है, जो हमेशा मेरा ख्याल रखता है
कभी-कभी वो मुझको गले से लगा लेता है
और कभी-कभी अपना मुँह फेर लेता है
शिकायत है उसे तो बस उस उदासी से
जो कभी मिटती नहीं इस वक़्त के साथ।