ये ज़रूरी नहीं के डरे हुये लोग अक्सर अल्फ़ाज़ों के पीछे छुपते हैं
कभी-कभी चंद अल्फ़ाज़ भी काग़ज़ पर खुद बखुद उतर आते हैं।
इश्क़ में हँसते हुये जल जाना,
एक अंगारे और सूफ़ी की है यही अदा
अपनी ही भड़कायी आग में, ये दोनों मुस्कुराते हुये जलते हैं।
ख़यालों की ख़याली दुनिया, दरअसल एक हक़ीक़त है
तभी तो गहरे ख़याल, कमी या जज़्बात की नमी में पनपते हैं।
अनकहा जो होता है, उसे कहने का ज़रिया क़लम है
गर शिद्दत की स्याही हो क़लम में तो अल्फ़ाज़ महकते हैं।
एहसास की मीठी ज़ुबाँ, सबकी समझ में ना आये
जिसकी समझ में आ जाये, उसे ज़िंदगी के कई रूप दिखते हैं।
मोहब्बत में इंतज़ार बहुत है, मोहब्बत इंतज़ार की हद है
मोहब्बत के इंतज़ार में, दिल के जज़्बात और भी निखरते हैं।
ये ज़रूरी नहीं के टूटे दिलवाले हमेशा लफ़्ज़ों का सहारा लेते हैं
कभी-कभी कुछ एहसास भी डायरी में खुद बखुद उतर आते हैं।।